Wednesday 6 December 2017

डॉ अंबेडकर का परिनिर्वाड़ दिवस और विध्वंस की राजनीति

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आस्था और विश्वास के नाम पर गुमराह करके  भव्य राम मंदिर निर्माण के नाम पर डॉ भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाड़ दिवस पर 25 वर्ष पूर्व 06 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिरा दिया गया था और आज भी वही राग अलापा जा रहा है उस पर नूपुर शर्मा जी का दृष्टिकोण है कि, ' भूखे भजन होय न गोपाला ' अतः  उन्होने  भव्य मंदिर के स्थान पर भव्य चिकित्सालय व विद्यालय के निर्माण की मांग रखी है  जो सर्वथा उचित है और उसका समर्थन प्रत्येक भारतीय को करना चाहिए । 










संविधान निर्मात्री समिति के चेयरमेन डॉ भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाड़ दिवस पर 25 वर्ष पूर्व 06 दिसंबर 1992 को अयोध्या में  राम मंदिर  / बाबरी मस्जिद के ढांचे को तब गिरा दिया गया था जब उत्तर प्रदेश में भाजपा बहुमत की सरकार सत्तासीन थी। यह मात्र एक ढांचे का विध्वंस नहीं था बल्कि यह संकेत था कि, भाजपा और उसके प्रणेता आर एस एस डॉ अंबेडकर द्वारा रचित  जिस संविधान को नहीं मानते हैं  उसे ध्वस्त कर देंगे। दस वर्ष बाद 2002 में गोधरा का वीभत्सकांड भी इसी मुहिम का ही हिस्सा था । इसी आधार पर 2014 में केंद्र में भी भाजपा सत्तारूढ़ हो सकी है एवं कारपोरेट घरानों की सेवा सुगमतापूर्वक कर रही है उसे साधारण जनता के दुखों को दूर करने की लेशमात्र भी चिंता नहीं है जैसा कि, नूपुर शर्मा जी की पोस्ट व उस पर प्राप्त प्रतिक्रिया से भी स्पष्ट होता है। : 



संकलन-विजय माथुर

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